वो फिर से गली के उस मोड़ पर टकटकी लगाए चाय के ठेले के पास पड़ी बेंच पर बैठ गया, अवंतिका वो फिर से गली के उस मोड़ पर टकटकी लगाए चाय के ठेले के पास पड़ी बेंच पर बैठ गया, ...
माफ़ करना बापू आपको लोग ज़बरदस्ती हमारी आँखों से ओझल कर रहे हैं। माफ़ करना बापू आपको लोग ज़बरदस्ती हमारी आँखों से ओझल कर रहे हैं।
" पापा! पापा! मैं ..मैं ...किसी से प्यार करती हूँ।" " पापा! पापा! मैं ..मैं ...किसी से प्यार करती हूँ।"
फिर क्यों खोज रही हो उस आदमी को जो कभी अपना हो न सका। फिर क्यों खोज रही हो उस आदमी को जो कभी अपना हो न सका।
भई,हम ठहरे ,आज के अखबार। भई,हम ठहरे ,आज के अखबार।
कोई किस तरह से किसके साथ जीना चाहता है यह अधिकार उसे होना चाहिए । कोई किस तरह से किसके साथ जीना चाहता है यह अधिकार उसे होना चाहिए ।